(6) बहर
मुतकारिब मुरब्बा मकबूज़ असलम
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एक मिसरा में “फ़ऊल फेलुन
ISI SS”एक बार
जहाँ में कोई ISI SS
नहीं किसी का ISI SS
खुदा सभी का ISI SS
खुदा सभी का ISI
SS
इस वज़न और आहंग को हिंदी के वर्णिक छंद “यशोदाछंद” के बराबर
समझा जाय
यशोदा छंद
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इस वर्णिक चंद के हर एक मिसरा में जगन (फऊल)+गुरु गुरु की
तरतीब से 5 अक्षर आठ मात्राओं के बराबर
होते हैं !
जगो गोपाला ISI
SS
सभोर कला ISI
SS
कहे यशोदा ISI
SS
लहे प्रमोदा ISI
SS
आठ हर्फी
ओजान समाप्त हुए
गौहर जमाली
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