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अक्षरी छंद (9 हर्फी औज़ान)
---------------------------------------------------------------------- (1)------बहर मुतकारिब मुरब्बा असलम
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फेलुन फऊलुन (SS ISS) एक मिसरा में एक बार – इस छंद का वज़न
और आलाप (आहंग )
हिंदी के मत्राई छंद “गंग”
और वर्णिक छंद “हारी” के बराबर होता है
हारी छंद
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ये पाँच अक्षरों का एक वर्णिक छंद है . जिस में एक “तगण” मफऊल+दो गुरु (SSI+SS)
होते हैं. दुसरे शब्दों में हम ये कह सकते हैं
दो गुरु “फेलुन”+एक यगण (फऊलुन ISS )की तरतीब से इस छंद में पाँच अक्षर
होते हैं .और इस का वज़न और आलाप फेलुन फऊलुन SS ISS के बराबर होता है !
गंग छंद
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ये हारी छंद का मात्राई
रूप है , जिस के आखिर में दो गुरु होते हैं (SS+I+SS=दो गुरु+लघू+दो गुरु=9
मात्राएं )हिंदी शायरी में इस प्रयोग नहीं के बराबर है ! उर्दू शायरी में हफ़ीज़
जालंधरी ने अपनी कई नज़्मों “बरसात-तारों भरी रात और नींदों की बस्ती में इस वज़न व
आहंग को इस्तेमाल किया है !
मिसाल ------कोहो दमन पर /दश्तो चमन पर /दोशीज़ा जौबन /बे साख्ता पन/गुलपोश जलवे /मदहोश जलवे /दिलकश फ़िज़ाएं /ठंडी हवाएं ! (किताब- नगमा जार ,पृष्ट 66)
मिसाल ------कोहो दमन पर /दश्तो चमन पर /दोशीज़ा जौबन /बे साख्ता पन/गुलपोश जलवे /मदहोश जलवे /दिलकश फ़िज़ाएं /ठंडी हवाएं ! (किताब- नगमा जार ,पृष्ट 66)
गौहर जमाली
रायपुर
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