Tuesday 7 July 2015

9 हर्फी औज़ान

   9 अक्षरी छंद (9 हर्फी औज़ान)
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फेलुन फऊलुन  (SS ISS) एक मिसरा में एक बार – इस छंद का वज़न और आलाप (आहंग )
हिंदी के मत्राई छंद “गंग” और वर्णिक छंद “हारी” के बराबर होता है

      हारी छंद
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ये पाँच अक्षरों का एक वर्णिक छंद है . जिस में एक “तगण” मफऊल+दो गुरु (SSI+SS) होते हैं. दुसरे शब्दों में हम ये कह सकते हैं  दो गुरु “फेलुन”+एक यगण (फऊलुन ISS )की तरतीब से इस छंद में पाँच अक्षर होते हैं .और इस का वज़न और आलाप फेलुन फऊलुन SS ISS के बराबर होता है !
       गंग छंद
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ये हारी छंद का मात्राई रूप है , जिस के आखिर में दो गुरु होते हैं (SS+I+SS=दो गुरु+लघू+दो गुरु=9 मात्राएं )हिंदी शायरी में इस प्रयोग नहीं के बराबर है ! उर्दू शायरी में हफ़ीज़ जालंधरी ने अपनी कई नज़्मों “बरसात-तारों भरी रात और नींदों की बस्ती में इस वज़न व आहंग को इस्तेमाल किया है !  
 मिसाल ------कोहो दमन पर /दश्तो चमन पर /दोशीज़ा जौबन /बे साख्ता पन/गुलपोश जलवे /मदहोश जलवे /दिलकश फ़िज़ाएं /ठंडी हवाएं !    (किताब- नगमा जार ,पृष्ट 66)

                                                   गौहर जमाली
                                                    रायपुर 




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