बारह हर्फी औज़ान (12 अक्षरी छंद )
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बहरे हज़ज मुरब्बा मक्बूज
मफ़ाएलुन मफ़ाएलुन एक मिसरा(पाद) में एक बार
! ये वजन और आलाप (आहंग) संस्क्रत के”प्रमाणिका”व्रत के बराबर है !
प्रमानिका छंद
ये आठ अक्षरों का एक वर्णिक छंद है !इस में जगन (फऊल)+रगन(फाएलुन)+लघु
(फ)+गुरु(फा)की तरतीब से आठ अक्षर या 12 मात्राएँ होती हैं !
फऊलो+फाएलुन+फ +फा =मफ़ाएलुन मफ़ाएलुन ISIS ISIS ( इस के मात्राई रूप को
“प्रमाणिक” कह सकते हैं महान क्रान्ति आज
हो–अखंड राम राज्य हो–अभीष्ट लोक काज हो –ससभ्य जन समाजहो(सुमित्रानन्दनपन्त)
बहरे
रमल मुरब्बा मक्फूफ़ मकसूर
फाएलातो फाएलान एक मिसरा(पाद )में एक बार ! ये वजन और आहंग
मल्लिका छंद के बराबर है
मल्लिका छंद
ये आठ अक्षों का एक वर्णिक छंद है –इस
में रगन(फाएलुन)+जगन(फऊलो)+गुरु(फा )+लघु(फ) की तरतीब से आठ अक्षर या 12 मात्राएँ
होती हैं !
फाएलुन + फऊलो + फा +फ़ == फाएलातो
फाएलान SISI SISI
नोट .......इस छंद का दूसरा नाम “समानी” भी है
देश देश के नरेश फाएलातो फाएलान SISI SISI
शोभ जय सुवे सुवेश ,,
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जानिये न आदि अंत ,,
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कौन दास कौन संत ,,
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तोमर छंद
इस छंद में 12 मात्राएँ होती हैं आख़िर में
एक गुरु और एक लघु आता है गुरु+लघु=(फा अ)हर पाद या मिसराके आखिर में आना ज़रूरी है
अनघ छंद
मैथलीशरण गुप्त ने इस छंद में पहला सप्तक
(मुस्तफ़एलुन SSIS )और इस के बाद तगण (मफ़ऊलो
SSI)रख का बारह मात्राओं का छंद बनाया है (मुस्तफ़एलुन मफ़ऊलो SSIS SSI)
बहरे रमल
मुरब्बा मशकूल सालमउलआख़िर
फएलातो
फ़ाएलातुन (IISI SISS) एक मिसरा में
एक बार -
मुझे तेरी आरज़ू है ( फएलातो फ़ाएलातुन IISI
SISS )
मुझे तेरी जुसतजू है ( फएलातो फ़ाएलातुन IISI
SISS )
मेरे सर में तेरी बू है ( फएलातो फ़ाएलातुन IISI
SISS )
मेरे दिल में तू ही तू है (
फएलातो फ़ाएलातुन IISI SISS )
मेरी हसरतों के मालिक ( फएलातो फ़ाएलातुन IISI
SISS )
मेरी उल्फतों के मालिक ( फएलातो फ़ाएलातुन IISI
SISS )
बहरे हज़ज मुरब्बा अखरब
मफ़ऊलो मफाईलुन
(SSI ISSS) एक मिसरा में एक बार !
माज़ी के / ख़राबे की (मफ़ऊलो
मफ़ाईलुन SSI ISSS)
मेहराबे / शिकस्ता पर
(मफ़ऊलो मफ़ाईलुन SSI ISSS)
एक नाम /जो कुन्दा है
(मफ़ऊलो मफ़ाईलुन SSI ISSS)
किया नाम /है किसका है
(मफ़ऊलो मफ़ाईलुन SSI ISSS
इस बहर का वज़न और आहंग हिंदी के
वर्णिक छंद “भक्ती” के बराबर है
भक्ती छंद
इस छंद में तगन (मफ़ऊलो)+यगन (फऊलुन)+फा (मफ़ऊलो+फऊलुन+फा SSI+ISS+S)= मफ़ऊलो मफ़ाईलुन SSI
ISSS
तू योग ही में फूलो (मफ़ऊलो मफ़ाईलुन SSI ISSS)
भगती प्रभु की भूलो (मफ़ऊलो
मफ़ाईलुन SSI ISSS)
कामा तजरे कामा (मफ़ऊलो
मफ़ाईलुन SSI ISSS)
रामा भज रे रामा (मफ़ऊलो
मफ़ाईलुन SSI ISSS) 7 अक्षर या 12 मात्राएँ
बहरे मुज़ारा
मुरब्बा अखरब
मफ़ऊलो फाएलातुन (SSI SISS) एक मिसरा में एक बार !
क़िस्मत के आसमां पर (मफ़ऊलो
फाएलातुन SSI SISS)
सीमाए कहकशां पर (मफ़ऊलो
फाएलातुन SSI SISS)
चमका तेरा सितारा (मफ़ऊलो
फाएलातुन SSI SISS) ( हफ़ीज़ जालंधरी )
नोट ---- हम इस वज़न और आहंग को हिंदी के मात्राई छंद “दिग्पाल”का आधा हिस्सा
कह सकते हैं ! लेकिन
डाक्टर पन्नू लाल ने बारह मात्रा वाले इस वज़न और आहंग को भी “दिग्पाल” ही माना है , जिस में
मात्राओं की तरतीब इस प्रकार है “
तगण(मफ़ऊलSSI) +रगन(फाएलुन SIS)+गुरु (फा S)
मफ़ऊल
+फाएलुन+फा = मफ़ऊलो फाएलातुन SSI SISS
( आधुनिक हिंदी काव्य में छंद योजना पन्ना
248 ) बहरे मोतकारिब मुसद्दस असलम
फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन SS SS SS एक मिसरा
में एक बार
मोरी नियारी
चिडया फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन SS SS SS
आरी प्यारी
चिड़िया फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन SS SS SS
कैसा तेरा उड़ना फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन SS SS SS
उड़ते उड़ते
मरना फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन SS SS SS
चूं चूं चूं चूं
करना फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन SS SS SS
मेरे मन को
भाया फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन SS SS SS
(इंद्रजीत शर्मा )
ये वज़न और आहंग संस्क्रित के
वर्णिक छंद “विधुल्लेखा” के आलाप के बराबर है
विधुल्लेखा छंद
ये 6 अक्षरों का एक वर्णिक छंद है जो
दो मगन(मफऊलुन SSS )से बनता है !
मफऊलुनSSS+ मफऊलुनSSS = फ़ेलुन
फ़ेलुन फ़ेलुन SS SS SS
इस छंद का दूसरा नाम शेष या शेषराज
भी है
बहरे मोतकारिब मुसद्दस असलम असरम सालमउलआखिर
फेलुन+फाअ+फ़ऊलुन (SS+SI+ISS) एक मिसरा में एक बार ये वज़न और आहंग हिंदी के
“मदलेखा” छंद बराबर है
मद्लेखा छंद
एक चरण या मिश्रा में मगन(मफ़ऊलुन
SSS)+सगन(फ़एलुन IIS)+गुरु (फा S)की तरतीब से
7 अक्षर या 12 मात्राएँ होती है
(मफ़ऊलुन SSS फ़एलुन IIS फा S= फेलुन फाअ फ़ऊलुन
(SS SI ISS)
बहरे रमल
मुरब्बा मखबून
फएलातुन फएलातुन ( IISS IISS ) एक
मिसरा में एक बार ,इस का वज़न और आहंग हिंदी के वर्णिक छंद “वितान छंद” के बराबर है
!
वितान छंद
इस वर्णिक चंद के हर एक मिसरा में सगन(फ़एलुन IIS )+भगन(फाएलो SII )+गुरु गुरु
(फेलुन SS )
की तरतीब से आठ अक्षर या बारह मात्राएँ होती हैं !
शुभ गंगा जल जल तेरा (फएलुन फाएलो
फेलुन IIS SII SS )
सुख दाता जुना करा फएलुन
फाएलो फेलुन IIS SII SS
नस के भू दुःख
नाना फएलुन फाएलो
फेलुन IIS SII SS
जस के तान
विताना फएलुन फाएलो
फेलुन IIS SII SS
(श्री छंद प्रभाकर पन्ना 124)
बहरे मुतकारिब
मुसद्दस असरम मकबूज़ सालमउलआखिर
फाअ फऊल फ़ऊलुन(SI ISI ISS)एक मिसरा में एक बार !हिंदी में इस बहर के बराबर “चित्रपदा
छंद”है
चित्रपदा छंद
हर एक मिसरा में भगन(फाएलो SII) +भगन (फाएलो
SII)+गुरु गुरु (फेलुन SS)की तरतीब से आठ अक्षर या बारह मात्राएँ ! फ़ाएलों फाएलो फेलुन SII SII SS =12 मात्राएँ
बहरे कामिल
मुरब्बा मह्ज़ूज़ मौकूस मोरफ्फ्ल
फ़एलुन मफ़ाएलातुन IIS ISISS एक मिसरा में एक बार ! हिंदी में “ईश छंद”इस के
बराबर है
ईश छंद
इस वर्णिक छंद के हर एक चरण या मिसरा में सगन फ़एलुन (IIS)+जगन (फ़ऊल ISI )+गुरु
गुरु (SS)
(फ़एलुन फ़ऊल फेलुन = IIS ISI SS=8 अक्षर या 12 मात्राएँ !
बहरे रजज़ मतवी
मफ़तएलुन SIIS मफ़तएलुन SIIS एक मिसरा में एक बार ! हिंदी में “मानवक छंद “इस के
बराबर है !
मानवक छंद
इस वर्णिक छंद के हर एक मिसरा में भगन(फाएलो SII)+तगण (मफ़ऊलो SSI )+लघु गुरु
(फअल IS )=
फाएलो मफ़ऊलो फअल ( SII SSI IS )=आठ
अक्षर या 12 मात्राएँ
बहरे रजज़
मुरब्बा मुतवी मखबून
मफ़तएलुन मफ़ाएलुन (SIIS ISIS) एक मिसरा में एक बार
दिन ये कटे जेहाद में मफ़तएलुन
मफ़ाएलुन SIIS ISIS
बारिशो बर्क बाद में
मफ़तएलुन मफ़ाएलुन SIIS ISIS
सिन ये गया नमाज़ में मफ़तएलुन मफ़ाएलुन SIIS ISIS
ख्वाबो ख्यालो रंग में मफ़तएलुन मफ़ाएलुन SIIS ISIS
शौके रहे मजाज़ में
मफ़तएलुन मफ़ाएलुन SIIS ISIS
बहरे हज़ज मुरब्बा मक्फूफ़ मकबूज़
मफ़ाईलो मफ़ाएलुन (ISSI ISIS) एक मिसरा में एक बार ! अजमतुल्लाह
खां ने अपनी एक नज्म
बाल बीवी में बहरे हज़ज के इस वजन और आहंग
का एक न्य तजरुबा किया है !
तेरे भोले से मुख पे मैं मफ़ाईलो मफ़ाएलुन (ISSI ISIS)
दिलो जान फ़िदा करूं मफ़ाईलो मफ़ाएलुन (ISSI ISIS)
तेरे चैन पे सुख पे मैं मफ़ाईलो मफ़ाएलुन (ISSI ISIS)
मेरी जान मिटा करूँ
मफ़ाईलो मफ़ाएलुन
(ISSI ISIS)
अभी आँख डरी सी है मफ़ाईलो मफ़ाएलुन (ISSI ISIS)
अभी आग दबी सी है मफ़ाईलो मफ़ाएलुन (ISSI ISIS)
बहरे मक्त्ज़ब मुरब्बा मुतवी मक़्तूअ
फ़ाएलातो मफऊलुन SISI SSS एक मिसरा में एक बार जदीद उर्दू शायरी
में सरदार जाफरी ने एस वज़न और आहंग का अपने मजमुआ ए कलाम “पत्थर की दीवार” में नया
तजरुबा किया है “पत्थर की
दीवार”,मेरे ख्वाब ,और नींद इन की ये तीनों नज़में इसी वज़नऔर आहंग में हैं
इनकलाब सामाँ है फ़ाएलातो मफऊलुन
SISI SSS
हिन्द की फ़ज़ा सारी फ़ाएलातो
मफऊलुन SISI SSS
नज़आ के है आलम में फ़ाएलातो
मफऊलुन SISI SSS
ये निज़ाम ए जरदारी फ़ाएलातो
मफऊलुन SISI SSS
वक्त के महल में है फ़ाएलातो
मफऊलुन SISI SSS
जश्ने नौ की
तय्यारी फ़ाएलातो मफऊलुन
SISI SSS
इस से कबल ग़ालिब ने अपनी एक ग़ज़ल में इस वज़न और आहंग के दो चन्द यानी बहर मक़तजब
मसमन मतवी मक़तूअ को इस्तेमाल किया है (SISI SSS SISI SSS)
12 अक्षरी औज़ान
समाप्त (गौहर जमाली )
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