तनहाई का कर्ब है , और घनेरी रात
टिम टिम करता एक दिया ,कब तक देगा साथ
तुम बिन सूनी सेज पर , लगे है भारी रात
जब जब होती है सजन ,रिम झिम सी बरसात
गहना ज़ेवर क्या करूँ , मेरे लिए बेकार
रह रह कर इच्छा करे ,तज दूँ सब सिंग्गार
तुम तो हो परदेश में ,किस से करूँ मैं बात
जब जब होती है सजन,रिम झिम सी बरसात
पीड़ा अपनी क्या कहूँ ,मिले न मुझ को चैन
नागिन बन कर डस रही ,बिरहा की ये रैन
करवट करवट याद में ,कटती है अब रात
जब जब होती है सजन,रिम झिम सी बरसात
बादल की गरजन मुझे ,करती है भैभीत
थर थर कांपूं खौफ़ से ,ओ मेरे मन मीत
क़ाबू में रहते नहीं , तब मेरे जज़्बात
जब जब होती है सजन,रिम झिम सी बरसात
झूले का मौसम है ये ,आजा मेरे मीत
दोनों मिल कर गाएंगे , हरयाली के गीत
मन करता है झूम कर ,नाचूँ तुमरे साथ
जब जब होती है सजन,रिम झिम सी बरसात
"गौहर "जीवन कामना ,सुख दुःख में हों साथ
दोनों के सर पर रहे , विर्धजनों का हाथ
इश्वर से मांगूँ दुआ , अच्छे हों हालात
जब जब होती है सजन,रिम झिम सी बरसात
गौहर जमाली (रायपुर )
टिम टिम करता एक दिया ,कब तक देगा साथ
तुम बिन सूनी सेज पर , लगे है भारी रात
जब जब होती है सजन ,रिम झिम सी बरसात
गहना ज़ेवर क्या करूँ , मेरे लिए बेकार
रह रह कर इच्छा करे ,तज दूँ सब सिंग्गार
तुम तो हो परदेश में ,किस से करूँ मैं बात
जब जब होती है सजन,रिम झिम सी बरसात
पीड़ा अपनी क्या कहूँ ,मिले न मुझ को चैन
नागिन बन कर डस रही ,बिरहा की ये रैन
करवट करवट याद में ,कटती है अब रात
जब जब होती है सजन,रिम झिम सी बरसात
बादल की गरजन मुझे ,करती है भैभीत
थर थर कांपूं खौफ़ से ,ओ मेरे मन मीत
क़ाबू में रहते नहीं , तब मेरे जज़्बात
जब जब होती है सजन,रिम झिम सी बरसात
झूले का मौसम है ये ,आजा मेरे मीत
दोनों मिल कर गाएंगे , हरयाली के गीत
मन करता है झूम कर ,नाचूँ तुमरे साथ
जब जब होती है सजन,रिम झिम सी बरसात
"गौहर "जीवन कामना ,सुख दुःख में हों साथ
दोनों के सर पर रहे , विर्धजनों का हाथ
इश्वर से मांगूँ दुआ , अच्छे हों हालात
जब जब होती है सजन,रिम झिम सी बरसात
गौहर जमाली (रायपुर )
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