14
हर्फी औज़ान(अक्षरी छंद)
------------------------------------------------------------------------------------
बहरे रजज़
मुरब्बा सालम
मुस्तफ़एलुन मुस्तफ़एलुन (SSIS SSIS )
एक मिसरा में एक बार ! हिंदी में “मैथली शरण गुप्त“
ने इस वज़न और आहंग को मधुमालती छंद में प्रयोग करने की कोशिश की है !
बादल उठे हैं दल के दल मुसतफ़एलुन
मुसतफ़एलुन SSIS SSIS
जैसे दमन की धुन में नल ,,
,, ,, ,,
,, ,,
और कह रहा है बर महल ,,
,, ,, ,, ,,
,,
साक़ी, ब,आवाज़े दुहल ,,
,, ,, ,,
,, ,,
रुत है जवाँ घर से निकल ,,
,, ,, ,,
,, ,,
मधुमालती छंद
ये 14 मात्राओं का एक ऐसा छंद है जिस में हर सात मात्राओं के बाद विराम होता
है और आखिर में गुरु लघु गुरु की तरतीब से 5 मात्राएँ होती हैं ! अगर इस में गुरु गुरु लघु गुरु की तरतीब से सात
,सात मात्राएँ रखी जाएं तो इस छंद का वज़न और आहंग “बहरे रजज़ मुरब्बा सालम का बन
जाता है !
मिसाल ---------इस शोक के /समबन्ध
से मुसतफ़एलुन मुसतफ़एलुन SSIS SSIS
सब देखते / थे अंध से ,,
,, ,, ,,
,, ,,
“
मैथली शरण गुप्त “
बहरेकामिल
मुरब्बा सालम
मुतफाएलुन मुतफाएलुन ( IISIS IISIS ) एक मिसरा में एक बार
! हिंदी में यही वज़न और आहंग
“ संयुता छंद “ का है !
मेरी जान हो कि मेरा
बदन = मुसतफ़एलुन मुसतफ़एलुन SSIS SSIS
तेरी जलवा गाह है ,ऐ
वतन = ,, ,,
,, ,, ,,
,,
तेरी ख़ाक इन का ख़मीर
है = ,, ,,
,, ,, ,,
,,
“अजमतुल्लाह खान “
संयुता छंद
ये एक वर्णिक छंद है , इस छंद में
निम्न तरीक़े से 10 अक्षर होते हैं !
सगन(फ़एलुन IIS )+जगन (फ़ऊलो ISI )+
जगन (फ़ऊलो ISI )+गुरु (फा S )=
सगन+जगन+जगन+गुरु = फ़एलुन+ फ़ऊ/लो+ फ़ऊलो+फा= मुसतफ़एलुन मुसतफ़एलुन SSIS SSIS
हनु मन्ता लंकाहे लाइ के = 10 अक्षर
पुणे पूँछ संध बुझाई के = ,, ,,
शुभह देख सिताहे पाँ परे= ,, ,,
मन पाई आनन्द जी भरे= ,, ,,
“ केशो दास “
बहरेहज़ज
मुरब्बा सालम
मफ़ाईलुन मफ़ाईलुन ( ISSS ISSS ) ज़रा
ठहरो ज़रा ठहरो
अभी कुछरा/त
बाक़ी है
गौहर
जमाली एक मिसरा में एक बार !इस वजन और आहंग को हम
“विधाताकल्प छंद” के बराबर कह सकते हैं !
विधाताकल्प छंद
डा. पत्तूलाल शुक्ल के अनुसार हिंदी के मात्राई छंदों में ये एक न्या तजुर्बा
है ! कारण कि इस में सप्तक
(लघु गुरु गुरु गुरु =मफाईलुन ISSS )
को दो बार रख कर 14 मात्राएँ पूरी करते हैं,जिस में पहली और आठवीं मात्रा हमेशा
लघु ही रहती है !इस तरह ये छंद “विधाता छंद” का आधा हो जाता है !इस लिए
इस छंद को “विधाताकल्प”छंद कहा जाता है !
चरित्र है मुल्य जीवन का मफ़ाईलुन मफ़ाईलुन ( ISSS ISSS )
वचन प्रति बिम्ब जीवन का
,, ,, ,,
,,
सुयश है आयु सज्जन का ,, ,, ,,
,,
सज्जनता है प्रभा धन का ,,
,, ,, ,,
“ रामनरेश तिरपाठी “
जबीं से नूर बरसाती मफ़ाईलुन मफ़ाईलुन ( ISSS ISSS )
चली आती है आज़ादी ,, ,,
,, ,,
मचलती झूमती गाती ,, ,,
,, ,,
चली आती है आज़ादी ,, ,,
,, ,,
“कैफ़ी आज़मी “
बहरेरमल
मुरब्बा सालम
फाएलातुन फाएलातुन (SISS SISS ) एक मिसरा में एक बार !
आसमां पर चाँद निकला फाएलातुन
फाएलातुन (SISS SISS )
रोशनी फैली जमीं पर
,, ,, ,,
,,
“ गौहर जमाली”
संस्कृत के वर्णिक छंद “सोम” का भी यही वज़न और आहंग है !
सोम छंद
इस छंद में रगन (फाएलुन SIS )+तगन(मफ़ऊलो SSI )+दो गुरु (फेलुन SS )की तरतीब से
आठ अक्षर
या 14 मात्राएँ होती हैं ! फाएलुन+ मफ़/ऊलो+ फेलुन = फाएलातुन फाएलातुन (SISS SISS )
राम लक्ष्मण की विदाई फाएलातुन
फाएलातुन (SISS SISS )
देख कर सारे जहाँ की ,, ,, ,,
,,
गम में आँखें डब डबाई ,, ,, ,,
,,
“गौहर जमाली”
मनोरमा छंद
ये 14 मात्राओं का एक मात्राई छंद है–अगर
इस में दुसरे सप्तक (गुरु लघु गुरु गुरु =फ़ाएलातुन SISS)
को दो बार लाया जाए तो इस का वही वज़न
और आहंग बन जाता है जो बहरेरमल मुरब्बा सालम का
है !वैसे इस छंद के आरम्भ में गुरु
(फा S )और आखिर में भगन(फाएलो SII )या यगण (फऊलुन ISS)
होता है !लेकिन कुछ आचार्यों के नजदीक
गुरु की जगह दो लघु भी आसकते हैं ! इस छंद के वज़न
और आलाप को निश्चित करने के लिए तीसरी
और दसवीं मात्राओं को हमेशा लघु रखा जाता है !
लोक हित करना सदाई = 14
मात्राएँ
है यही सच्ची कहाई =
14 मात्राएँ
महादेवी वर्मा ने अपने गीतों में भी
इस छंद को इस्तेमाल किया है !
जो कहा रुक रुक पवन ने फाएलातुन
फाएलातुन (SISS SISS )
जो सूना झुक झुक गगन ने ,,
,, ,, ,,
साँझ जो लखती अधूरा ,, ,,
,, ,,
प्रात रंग पाता न पूरा ,, ,,
,, ,,
सखी छंद
ये 14 मात्राओं का छंद है !इस में हर मिसरा के आखिर में मगन(मफ़ऊलुन SSS )या
यगन (फ़ऊलुन
ISS )होता है !
ये चमकीले तारे हैं (4 + 4 + 6 )=14 मात्राएँ
बड़े अनोखे प्यारे हैं ,,
,, ,, ,,
,,
आँखों में बस जाते हैं ,,
,, ,, ,,
,,
जी को बहुत लुभाते हैं ,,
,, ,, ,,
,,
“ हरीअवध”
इस के हर मिसरा में आखिर में मगन यानी
मफ़ऊलुन SSS है ! इस छंद में ये भी जाएज़ है
कि
अगर एक मिसरा के आखिर में मगन है तो दूसरेमिसरा के आखिर में यगन (फ़ऊलुन ISS
)भी आसकता
है !
उर्दू शायरी में “हामिदउल्लाह अफ़सर
की नज़्म “भारत के गुण गाते हैं” इसी छंद में है !
दिन जो बहार के आते हैं किया किया फूल खिलाते हैं
बादल मेंह
बरसाते हैं बुलबुल
गीत सुनाते हैं
भारत के
गुण गाते हैं
दिल की
मुरादें पाते हैं
हाकली छंद
ये 14 मात्राओं का एक छंद है , जिस के हर एक मिसरा में तीन चौकल के बाद एक
गुरु रख कर
14 मात्राएँ पूरी की जाती हैं !
पावन कारक जीवन का
( 4+4+4+2 )=14 मात्राएँ
मुझ को वास मिला वन का ,,
,, ,, ,, ,,
,,
जाता हूँ मैं अभी वहाँ ,,
,, ,, ,, ,,
,,
राज करेंगे भरत यहाँ ,,
,, ,, ,,
,, ,,
“ मैथलीशरण गुप्त “
(डा. पत्तू लाल शुक्ल का मत है कि अगर मिसरा के आरम्भ या बीच में दो तिर्कल
रखे जाएं तो इस का आलाप एक तरंग सा भरा हुआ मालूम होता है इस लिए इस छंद का यही
नियम होना चाहए) !
बोल बोल जय सेनानी (3+3+4+2+2 )=14 मात्राएँ
राज पूत सैनिक मानी (3+3+6+2 )= 14 ‘’
मानव छंद
ये भी 14 मात्राओं का छंद है लेकिन इस में ये जरूरी नहीं है कि हर मिसरा में
तीन चौकल हों ,बल्कि किसी भी तरह 14 मात्राएँ पूरी हो जाएं-!
घन में सुन्दर बिजली सी ( II SS II II SS )=14 मात्राएँ
बिली में चपल चमक सी ( II SS III III S )= ‘’ ‘’
आखों में काली पुतली ( SS SS S II S )= ‘’ ‘’
पुतली में श्याम झलक सी ( II SS S IIII S )= “ “
विजात छंद
इस छंद में 14 मात्राएँ होती हैं –और
पहली मात्रा हर हालत में लघू ही होती है –
इस छंद को मैथली शरण गुप्त ने
“साकेत “में एक विशेस आलाप (आहंग )के साथ प्रयोग किया है !
उन के पैर पडूँगी मैं -- IISS IISS S =14 मात्राएँ
कह कर यही अड़ूगी मैं –
IIS ISI SSS = 14 मात्राएँ
भरत, राज्य की जड़ न
हिले –IIIS ISS IIS=14 “
मुझे राम की भीक मिले –ISS
ISS IIS =14 “
नोट ----- उपरोक्त चरों मात्राई छंदों यानी सखी छंद ,हाकली छंद ,मानव छंद और
विजात छंद इत्यादि के बराबर औज़ान और आहंग उर्दू शायरी में भी इस्तेमाल हुए हैं !
जिसकी फिहरिस्त बहुत लम्बी है ,
इसलिए नज़र अंदाज़ कर रहा हूँ –
उर्दू शायरी में 14 मात्राओं को इस
प्रकार प्रयोग में ला सकते है ! चंद
मिसालें दर्ज हैं
1—अफ़सर मेरठी का शेर ------भारत के
गुण गाते हैं (फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फा SS SS
SS S )
दिल की
मुरादें पाते हैं (मफ़तऐलुन मफ़ऊलुन फ़ा SIIS SSS S )
2—इंद्रजीत शर्मा -----------अम्माँ
जब निकलेगा चाँद (फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फाअ
SS SS SS SI)
चुपके चुपके आएगा
( फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फा SS SS SS S )
मेरी छोटी खिड़की से (फ़ेलुन फ़ेलुन
फ़ेलुन फा SS SS SS S )
आकर मुझे जगाएगा (फ़ेलुन फऊलो फ़ेलुन फा SS ISI SS S )
3—फिराक़ गोरखपुरी
-----जीने वाले जी लेंगे (फ़ेलुन फ़ेलुन
फ़ेलुन फा SS SS SS S )
अब न मिलोगे अच्छी बात ((मफ़तऐलुन मफ़ऊलुन फ़ाअ SIIS SSS SI)
4---नासिर काज़मी
----पहुंचे गोर किनारे हम (फेलुन फ़ाअ
फ़ऊलुन फ़ा SS SI ISS S )
बस ग़मे दौराँ हारे हम ((मफ़तऐलुन मफ़ऊलुन फ़ा SIIS SSS S )
5—नासिर काज़मी
---झोपड़ी वालों की तक़दीर (फाअ फऊलुन
फेलुन फ़ाअ SI ISS SS SI )
बुझा बुझा सा एक दिया ((मफ़तऐलुन
मफ़ऊलुन फ़ा SIIS SSS S )
नोट -(मफ़तऐलुन
मफ़ऊलुन फ़ा SIIS SSS S की जगह पर(फाअ फऊलुन फेलुन फ़ा SI ISS SS S)
भी लाया जा सकता
है !
बहर मुतकारिब
मुसमन असलम अबतरूल आखिर
फेलुन फेलुन फेलुन फा SS
SS SS S एक मिसरा में एक बार !
इतनी खलक़त के होते फेलुन फेलुन फेलुन फा SS
SS SS S
शहरों में है
सन्नाटा फेलुन फेलुन फेलुन
फा SS
SS SS S
“ नासिर काज़मी
“
हिंदी में ये बहर शिष्या छंद
के बराबर है
नोट :-----यही वज़न और आहंग “बहर मुतदारिक मुसम्मन मजनून मसक्कन मह्ज़ूज़उल आख़िर
का है
शिष्या छंद
हर एक मिसरा में मगन (मफऊलुन SSS )+ मगन (मफऊलुन SSS )+गुरु (फा S ) की तरतीब
से सात अक्षर या 14 मात्राएँ – ( इस छंद का दूसरा नाम “शीर्षरूपक “भी है !
शुद्ध आत्मा / था ग्यानी / था ( मफ़उलुन SSS / मफ़उलुन SSS / फा S )= SS SS SS
S
पुरानों का / भी दानी / था ( मफ़उलुन SSS / मफ़उलुन SSS / फा S )= SS SS
SS S
ऊंचा हिन् /दू पानी / था
( मफ़उलुन SSS / मफ़उलुन SSS / फा S )= SS SS SS S
राणा सच् / चा दानी / था ( मफ़उलुन SSS / मफ़उलुन SSS / फा S )= SS SS
SS S
वापी छंद
हर मिसरा में मगन (मफ़ऊलुन SSS)+यगण(फ़ऊलुन
ISS )+गुरु लघू (फाअ SI ) की तरतीब से आठ
अक्षर या 14 मात्राएँ – मफ़ऊलुन फ़ऊलुन फाअ= (SSS ISS SI)
उर्दू में वापी छंद का वज़न बहरमुक्तज़ब के बराबर होगा !
बहरमुक्तज़ब
मुरब्बा एरज------- मफ़ऊलातो +मफ़ऊलान (SSSI +SSSI) =14 मात्राएँ
नोट ----(उर्दू बहर के अनुसार मुस्तफ़एलुन का मज़ाह्फ़ रुक्न मफ़ऊलान एरज है !
ग़ालिब ने इस ज़हाफ़ को अरूज़ और ह्श्व दोनों जगह पर प्रयोग किया है !
दोस्त दार दुश्मन है / ऐतमाद-ए-दिल
मालूम-- फ़ाएलात मफ़ऊलुन/फ़ाएलात मफ़ऊलान
आह बे असर देखी / नाला ना रसा पाया--- फ़ाएलात मफ़ऊलुन/फ़ाएलात
मफ़ऊलुन
हाल-ए-दिल नहीं मालूम/लेकिन इस कदर
यानी—--फ़ाएलात मफ़ऊलान/फ़ाएलात मफ़ऊलुन
हम ने बरहा ढूंडा / तुम ने बारहा पाया -------- फ़ाएलात मफ़ऊलुन
फ़ाएलात मफ़ऊलुन
लेकिन उर्दू में म्क़्तूअ रुक्न
मफ़ऊलुन और एरज मफ़ऊलान दोनों हम वजन शुमार करलिये जाते हैं )
रलका छं
इस छंद के हर एक मिसरा मब मगन(मफ़ऊलुन SSS)+सगन( फ़एलुन IIS)+सगन( फ़एलुन IIS) की
तरतीब से 9 अक्षर या 14 मात्राएँ होती हैं –इस का दूसरा नाम रत्नकरा छंद है !
ये छंद उर्दू के बहरे मुताक़ारिब मस्मन असलम असरम मह्बक मकबूज़
मख्दूफ़ के बराबर है –
रलका छंद =
मफ़ऊलुन + फएलुन +फएलुन =SSS+IIS+IIS
बहरे मुताक़ारिब........ फेअलुन फ़ाअ फ़ऊलो फ़,अल = SS SI ISI
IS
भुआल छंद
हर मिसरा में “जगन”(फ़ऊलो
ISI )+यगण (फ़ऊलुन ISS )+यगण(फ़ऊलुन ISS )की तरतीब से
9अक्षर या 14 मात्राएँ ! जगन + यगण+ यगण==ISI
ISS ISS उर्दू में ये छंद बहरे
मुतकारिब मुसद्दस मक्बूज़ सालमउलआखिर का वजन है !
फ़ऊलो फ़ऊलुन फ़ऊलुन=== ISI ISS
ISS
कीर्ति छंद
सगन +सगन +सगन+ गुरु ==फ़एलुन फ़एलुन फ़एलुन फा==IIS IIS IIS S
उर्दू में ये छंद एक मिसरा में एक बार बहरे मुतदारिक
मखबून मह्जूजुलआखिर का वज़न है
फ़एलुन फ़एलुन फ़एलुन फा==IIS IIS IIS S
सारवती छंद
भगन (फ़ाएलो)+ भगन (फ़ाएलो)+ भगन (फ़ाएलो)+गुरु(फा )==SII SII SII S
भाभी भगी रंग डार कहां== SII
SII SII S
पुंछत यूँ हरीजाई तहाँ ==== SII
SII SII S
उर्दू में ये छंद बहरेमुतकारिब असरम
मक्बूज़ महजूफउल आखिर के बराबर है !
फाअ फ़ऊलो
फ़ऊल फ़,अल == SI ISI
ISI IS
मणिमध्य छंद
हर एक मिसरा में भगन
(फ़ाएलो)+मगन(मफऊलुन)+सगन(फ़एलुन)==SII
SSS IIS की तरतीब से
9 अक्षर या 14 मात्राएँ !
भाम सुपूजा का रज जो == SII SSS
IIS
परात गई सीता सर जो === SII SSS
IIS
उर्दू में छंद बहरे मुतकारिब मुसमन असरम मह्बिक महजूफउल आखिर के बराबर है
फ़ाअ फ़ऊलुन
फ़ाअ फ़,अल ====SI ISS SI IS
हाय/ रे तेरी/ संग/ दिली == SI ISS SI IS
खाक/ में मेरी/ बात/ मिली == SI ISS SI IS
प्यार/की है क्या/ रीत/ यही ==
SI ISS SI IS
इश्क़/ में खाएँ/मात/ सभी ====
SI ISS SI IS